जानिए, पीरियड्स के पहले क्यों होता है प्रीमेंस्ट्रुअल, क्या हैं इसके लक्षण और इलाज

जानिए, पीरियड्स के पहले क्यों होता है प्रीमेंस्ट्रुअल, क्या हैं इसके लक्षण और इलाज

सेहतराग टीम

महिलाओं को हर महीने पीरियड्स की समस्या से गुजरना होता है। इस समय महिलाएं काफी बदला हुआ व्यवहार करती हैं। उनके अंदर चिड़चिड़ापन आ जाता है और वो आत्महत्या करने की भी सोच लेती हैं। उनकी मनोदशा ऐसी होती है कि वो पीरियड्स से पहले के दिनों में कुछ भी कर सकती हैं। क्योंकि वो समय उनके लिए काफी उलझन भरा रहता है। ऐसे में डिप्रेशन का शिकार भी होने का डर रहता है। ऐसी स्थिति को मेडिकल भाषा में प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसॉर्डर यानी पीएमडीडी कहते हैं। इस दौरान महिलाओं को काफी दर्द होता है और उन्हें कुछ अलग खाने पीने की इच्छा होती है। यह उन दिनों की आम बात है। वही साधारण भाषा में इस स्थिति को प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम या पीएमएस भी कहते हैं।

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यह क्यों होता है ये अधिकतर लोगों को नहीं पता है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि आखिर पीरियड्स के पहले सभी महिलाओं को इस स्थिति से क्यों गुजरना पड़ता है। आपको बता दें कि फिलहाल इसका सही कारण अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। लेकिन माना जाता है कि प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम का स्त्री के सामाजिक, सांस्कृतिक, जैविक और मनोवैज्ञानिक पक्षों से संबंध होता है। पीएमएस आमतौर पर उन स्त्रियों में पाया जाता है-

  • जिनकी उम्र 20 से 40 वर्ष के बीच हो
  • जिनके बच्चे हों
  • जिनके परिवार में अवसाद का इतिहास हो
  • लगभग 50-60 प्रतिशत स्त्रियों में सिवियर पीएमएस के अलावा मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी दिखती हैं।

पीएमएस के लक्षण (Premenstrual Syndrome Symptoms in Hindi):

पीएमएस के लक्षण शारीरिक और मानसिक दोनों ही हो सकते हैं। सिरदर्द, एड़ियों में दर्द, पैरों व हाथों में सूजन, पीठ में दर्द, पेट के निचले हिस्से में भारीपन व दर्द, स्तनों में ढीलापन, वजन बढ़ना, एक्ने, नॉजिया, कॉन्स्टिपेशन, रोशनी और आवाज से चिढ़ और पीरियड्स के दौरान दर्द जैसी कुछ शारीरिक परेशानियां देखने को मिल सकती हैं। इसके अलावा बेचैनी, असमंजस, ध्यान लगाने में परेशानी, निर्णय लेने में कठिनाई, भूलने की समस्या, अवसाद, गुस्सा, खुद को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति आदि भी पीएमएस के लक्षण हैं।

इलाज (Premenstrual Syndrome Treatment in Hindi):

व्यायाम और डाइट में हल्के-फुल्के बदलाव करने से पीएमएस के प्रभावों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा अपनी एक डेली डायरी मेंटेन करें जिसमें अपने लक्षणों का ब्यौरा दर्ज करें। इस डायरी को कम से कम तीन महीने मेंटेन करें जिससे डॉक्टर पीएमएस की सही तरह से डायग्नोसिस और इलाज कर सके। इसके अलावा न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स का सेवन बढ़ाएं और नमक, चीनी, एल्कोहॉल और कैफीन का सेवन कम करें। वहीं ज्यादा दर्द होने पर डॉक्टर की सलाह से एंटी बायटिक्स या पेन किलर्स ले सकती है।

 

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